रांची/नेमरा :– झारखंड की राजनीति के भीष्म पितामह, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी समाज के मसीहा शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर मंगलवार को पंचतत्व में विलीन हो गया। उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव नेमरा में राजकीय सम्मान के साथ किया गया।अंतिम दर्शन के लिए भारी संख्या में लोग उमड़ पड़े। हजारों की भीड़ ने “गुरुजी अमर रहें” के नारों के बीच अपने प्रिय नेता को अश्रुपूरित विदाई दी।
राहुल गांधी सहित कई मंत्री व समर्थक हुए शामिल:– शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, झारखंड सरकार के कई मंत्री, विधायक, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और हजारों समर्थक मौजूद रहे।
हेमंत सोरेन ने दी अपने पिता को मुखाग्नि :–वहीं, नेमरा गांव में जनसैलाब उमड़ा रहा। ग्रामीणों की आंखों में आंसू और जुबां पर बस एक ही नारा था — “गुरुजी अमर रहें…”। वही शिबू सोरेन के पुत्र और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने अपने बाबा (पिता) को मुखाग्नि देकर उन्हें अंतिम जोहार किया। अपने पिता के अंतिम विदाई के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फूट फूट का रो पड़े।
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शिबू सोरेन का संघर्षपूर्ण जीवन :– शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को झारखंड के रामगढ़ जिला के नेमरा गांव में हुआ था।वे झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे और एक समय केंद्र सरकार में कोयला मंत्री के रूप में भी कार्यरत रहे। शिबू सोरेन ने 1970 के दशक में “दिकू भगाओ आंदोलन” के ज़रिए आदिवासी समाज को बाहरी शोषण से मुक्त कराने की आवाज बुलंद की।उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना कर झारखंड अलग राज्य आंदोलन को गति दी और जन-जन से जोड़ा और आखिरकार नए झारखंड राज्य का स्थापना हुआ।
राजकीय सम्मान के साथ विदाई, दो दिन का शोक :–शिबू सोरेन को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। राज्य सरकार ने उनके सम्मान में दो दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।उनके निधन को झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत माना जा रहा है।
गुरुजी की विरासत सदैव जीवित रहेगी :–शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि आदिवासी चेतना और संघर्ष की आवाज थे।उनकी राजनीतिक विरासत, विचार और आंदोलन आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे।झारखंड की जनता के दिलों में गुरुजी हमेशा अमर रहेंगे।
